मुस्तफा इब्ने जमील ने कहा कि खुदा के फजल से मैं ऐसा कर पाया हूं। मैंने पिछले साल पाक कुरान की किताबत का फैसला किया था। लगभग दो माह मुझे कैलिग्राफी जिसे किताबत कहते हैं के लिए विशेष कागज तलाशने मेंं लग गए।
उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे तुलैल, गुरेज (बांडीपोर) के रहने वाले 26 वर्षीय मुस्तफा इब्ने जमील ने 500 मीटर लंबे कागज के रोल पर पाक कुरान की किताबत (हस्तलिखित सुलेख) कर एक नया इतिहास रच दिया है।
मुस्तफा इब्ने जमील ने कहा कि खुदा के फजल से मैं ऐसा कर पाया हूं। मैंने पिछले साल पाक कुरान की किताबत का फैसला किया था। लगभग दो माह मुझे कैलिग्राफी जिसे किताबत कहते हैं, के लिए विशेष कागज तलाशने मेंं लग गए। यह कागज मैने दिल्ली स्थित एक फैक्टरी से मंगवाया। किताबत के लिए मुझे एक खास स्याही भी चाहिए थी। मैने इसी साल जून में पाक कुरान की किताबत पूरी की है। इसका नक्श लिखने में तीन माह का समय लगा है जबकि इसके बाहरी किनारों बार्डर की डिजाइनिंग में लगभग एक माह का समय लगा है। मैने पूरे रोल का लैमिनेट कराया है।
2.5 लाख रूपये हुए खर्च : इस पूरे काम पर करीब 2.5 लाख रूपये का खर्च आया है। मेरी दिली तमन्ना थी कि मैं पाक कुरान लिखूं। शुरु में मैंने किताबत को अपनी लिखाई सुधारने के लिए अपनाया था। इसके बाद मैने कुरान के कुछ हिस्सों की किताबत की। इससे मुझे एक रुहानी खुशी का अहसास हुआ। फिर मुझे लगा कि मुझे खुदा ने जो खूबी बख्शी है,उसका इस्तेमाल कुछ खास करने के लिए किया जाना चाहिए।
21 किलो है कुरान का वजन : उसने बताया कि मेरे हाथ से लिखा कुरान 450 पन्नों का है और प्रत्येक पन्ना 14.5 इंच चौढा़ है। पूरे कुरान का वजन करीब 21 किलो है। उसने कहा कि मैने इस काम में हालांकि किसी पेशवर व्यक्ति की सहायता नहीं ली है,लेकिन मैं नियमित रूप से एक मुफ्ती से अपने काम की जांच कराता था ताकि किसी तरह की त्रुटि न रहे। उन्होंने मेरे काम को मंजूरी दी। मेरे परिवार ने भी इस काम में पूरा साथ दिया है।
मैट्रिक पास भी नहीं हैं मुस्तफा : मुस्तफा ने कहा कि मैं मैट्रिक पास नहीं कर पाया था। इसके लिए मुझे कई लोगों के तानों का शिकार भी होना पड़ा है,लेकिन जब मैने किताबत शुरु की तो मेरे कुछ दोस्तों ने मेरा मजाक भी उड़ाया ,उन्हे लगता था कि मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगा। इसलिए मैं रात को ही पाक कुरान की किताबत करता था। लगभग सात माह में मैने यह काम किया है।
लिंकन बुक आफ रिकार्डस में नाम हुआ दर्ज : भविष्य की अपनी योजनाओं का खुलासा करने के बजाय मुस्तफा ने कहा कि अभी तो मैंने शुरुआत की है। आने वाले समय मेें कुछ और खास प्रोजेक्ट मेरे दिमाग में हैं। उन पर काम करुंगा। चेन्नई स्थित लिंकन बुक आफ रिकार्डस में भी मुस्तफा का नाम इस उपलब्धि के लिए दर्ज किया गया है। उसने कहा कि मुझे खुशी है क मैने जो काम हाथ में लियाख् वह पूरा हुआ है। मैं लगभग 18 घंटे रोजाना इस पर काम करता था। मुझे पूरा यकीन है कि कश्मीर में कई नौजवान और छात्र भी किताबत को अपनाएंगे। कश्मीर में कभी किताबत को लेकर लोगों में बहुत दिलचस्पी होती थी, आज यह हुनर खत्म हो रहा है। इसे बचाना जरुरी है।